शाम के 5:00 बजे थे। कॉलेज से आने के बाद मैने चाय नाश्ता किया और खेलने निकल गया। 7:00 बजे तक मैं घर वापस आया। खाना तैयार था। खाना खाकर मैं पढ़ने बैठ गया। लेकिन मुझे पढ़ने बैठे यही कोई 15 मिनट हुए थे कि वह आ गई। उसके आने से मैं बड़ा परेशान था। वक्त बे वक्त चाहे जब वह आ जाती। अक्सर क्लास में पढ़ते-पढ़ते मुझे ऐसा लगता, जैसे वह मुझे बुला रही हो और फिर पढ़ाई की तरफ से मेरा ध्यान उचट जाता। यह हाल रहता कि शरीर क्लास में और मन उसके पास। यही नहीं उसके करण मैं डांट भी बहुत खाता था। मेरे पढ़ते-पढ़ते कभी भी वह आ जाती और मां, बड़े भाई या पिताजी देख लेते तो मेरी शामत आ जाती। सभी का मुझसे यही कहना था कि कुछ दिन तो उससे दूर रहो। लेकिन भला मैं उसे कैसे मना करता! क्योंकि उसका मूल्य मुझे बहुत अच्छे से मालूम था। कुछ दिन पहले अचानक मैं बीमार पड़ा। उस बीमारी के दौरान ऐसा लगता था जैसे वह भी मुझसे रूठ गई हो। या तो आती ही नहीं थी या आती भी थी तो बहुत कम देर के लिए। मेरे साथ घर के सभी लोग बड़े परेशान थे। तब से मेरी निगाहों में उसका मान और भी बढ़ गया। अब मैं उसे कभी मना नहीं करता। कहीं फिर से रूठ गई तो! ना बाबा, मैं तो उसके बिना एक दिन भी नहीं रह सकता। वह जब भी आती है, मैं सभी काम छोड़कर उसका स्वागत करता हूं। यहां तक की घर के सब लोग मुझे आलसी, निकम्मा, कामचोर और न जाने क्या-क्या समझने लगे हैं। समझते रहें, मुझे परवाह नहीं। भला मैं उसे कैसे छोड़ सकता हूं। उसके लिए मुझे सब कुछ मंज़ूर है। ओहो! वह फिर आ रही है। मुझे मालूम है कि अब मैं कुछ नहीं लिख सकता क्योंकि वह लिखने ही नहीं देगी कुछ। शायद अब तक आप भी उसके बारे में जान गए होंगे। जी हां, वह है मेरी नींद 😂😂😂

 

Writer: Dr. Shobha Tiwari 

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