Udaan
आज जो लिखने बैठी हुं
शब्द गुम हो गये है
हाथों से कलम छूट रही है
वक्त के हाथों से कुछ छुटा तो है
समय के साथ पा लिया वो तारीफ है
कुछ चाहना सब कुछ नहीं होता
चाहतों पे बने रहना तारीफ है
ऊंचाई पे पहुंचना कमाल नहीं
ऊंचाईयों पे बने रहना कमाल है
मेरे महल का वो अंधेरा कमरा
रोशनी से भर गया वो तारीफ है
अपने आप से क्यु नाराज़ हुं मैं
लि जो आसमान कि उडान , वो तारीफ है
By… SAANJH