त्योहारों का महत्व

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‘त्योहार’ शब्द अपने आप में सार्थक है। इस शब्द के उच्चारण मात्र से मन में हर्ष एवं उल्लास के भाव जागृत हो जाते हैं। फिर चाहे राष्ट्रीय त्योहार हों या सामाजिक दोनों ही महत्वपूर्ण हैं। राष्ट्रीय त्योहार राष्ट्र में रहने वाले सभी जाति तथा धर्म को मानने वाले उत्साह के साथ मनाते हैं और सामाजिक त्योहार अलग-अलग धर्म को मानने वाले अपने-अपने धर्म के अनुसार मनाते हैं। वास्तव में धर्म-जाति-वर्ण इन सबसे परे त्योहारों का उद्देश्य एक ही है – एकता तथा भाईचारे का संदेश देना। हमारा भारत अनेकता में एकता का प्रतीक है। यहां विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं। हमारे त्योहार, जो हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं – इन सब को एकता के सूत्र में बांधे हुए हैं। होली, दिवाली, दशहरा, गुरुपर्व, ईद, क्रिसमस आदि सभी पर्वों में यह सूत्र दिखाई देता है। भारत के नागरिक चाहे भारत में रह रहे हों या विदेशों में – अपने-अपने पर्व एक साथ मिलकर मनाने का प्रयास अवश्य करते हैं। क्योंकि यही वह समय रहता है जब पूरे परिवार के लोग एक-दूसरे के समीप आते हैं; एक-दूसरे को उपहार देते हैं; सब साथ में मिलकर हर्ष पूर्वक एक दूसरे को बधाइयां देते हैं। यदि किसी कारणवश आना संभव नहीं हो पता, तब भी बधाई का संदेश अवश्य भेज देते हैं।

वास्तव में यह त्योहार हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। क्योंकि ये ही हमें भावनात्मक एकता के सूत्र में बांधकर रखे हुए हैं। वरना आज की व्यस्ततम दिनचर्या में लोगों के पास एक-दूसरे के साथ मिलने या वार्तालाप करने का समय कहां है! हम सबका नैतिक कर्तव्य बनता है कि हम भी इनकी गरिमा को बनाए रखें और अपने सम्माननीय पूर्वजों के द्वारा दी गई इस अनमोल विरासत के महत्व को समझें। अभी श्रावण माह के कुछ दिन शेष हैं। दो प्रमुख पर्व इस अवधि में मनाए जाएंगे – नागपंचमी और रक्षाबंधन। सर्पों के संरक्षण एवं संवर्धन का पर्व है नागपंचमी, जो हमें प्रकृति से जोड़ता है और भाई-बहन के अटूट एवं निश्चल प्रेम का प्रतीक है – रक्षाबंधन, जो स्नेह के धागों का महत्व प्रदर्शित करता है।

इन दोनों पर्वों के लिए आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।

 

Writer: Dr. Shobha Tiwari

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